बरखा गीत

गरजत बरसत लहुकत हे बादर.
आंखी म जइसे आंजे हे काजर.

मेचका-झिन्गुरा के गुरतुर बोली
हरियर हरियर, धनहा डोली
बरसे झमाझम, गिरत हे पानी,
माते हे किसानी, बइला, नांगर
गरजत बरसत लहुकत हे बादर.
आंखी म जइसे आंजे हे काजर.

सुरूर सुरूर चले पवन पुरवइया
अंगना म फुदरे बाम्भन चिरइया
गली गली बन कुंजन लागे
विधुन होगे एकमन आगर…
गरजत बरसत लहुकत हे बादर.
आंखी म जइसे आंजे हे काजर.

खोर गली म चिखला पानी बोहागे रेला,
कागद के डोंगी बनाय, खेले कोनो घघरइला
सुरुज देवता के परछो नई मिले
कहाँ जाके लुकागे, काबर….
गरजत बरसत लहुकत हे बादर.
आंखी म जइसे आंजे हे काजर.
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राम कुमार साहू ‘मयारू”
ग्राम गिर्रा (पलारी)
जिला बलोदा बाजार छ ग
9826198219

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3 Thoughts to “बरखा गीत”

  1. का बात हे
    एसो के सावन आपे के नाव

  2. Wah ! mayaru Bhaiya aapke barakha geet ke ka kahana he . Sughar havay….

  3. shakuntala sharma

    “गरजत बरसत लहुकत हे बादर ऑखी म जैसे ऑजे हे काजर ।” सुंदर गीत , मम्हावत माटी के ।

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